नवीन कृषि अधिनियमों का भारतीय अर्थव्यवस्था पर पडेगा दूरगामी प्रभाव

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नवीन कृषि अधिनियमों का भारतीय अर्थव्यवस्था पर पडेगा दूरगामी प्रभाव

अनिल कुमार सिंह

भारत सरकार ने कृषि से संबधित तीन अधिनियम  इस वर्षा सत्र में पास किये हैं, जिससे कृषि के विकास एवं कृषि आय में त्वरित वृद्धि लायी जा सके | इस ऐतिहासिक कानून की आवश्यकता विगत कई वर्षों से महसूस की जा रही थी| ये विधेयक हैं

(1) मूल्य आश्वासन एवं कृषि सेवा पर (किसान सशक्तिकरण और सुरक्षा) समझौता अधिनियम  2020 (Farmers (Empowerment and Protection) Agreement on Price Assurance and Farm Services) Act 2020,

(2) किसान उत्पादन व्यापार एवं वाणिज्य (संवर्धन व सुविधा सेवा) अधिनियम  2020 ( Trade and Commerce (Promotion and Facilitation) Act 2020, एवं

(3) आवश्यक वस्तु (संशोधन) अधिनियम  2020 (Essential Commodities Amendment Act 2020.

इन नवीन अधिनियमों से कृषि आधुनिकीकरण के नए युग का सूत्रपात होगा और इन कृषि कानूनों के दूरगामी परिणाम अवश्यसंभावी है | कृषि में आज भी लगभग 43%  कामगार या यूँ कहें करीब आधा अरब आबादी आश्रित है|

इन तीनों अधिनियमों का असर यह होगा कि आगे चल कर कृषि को  उद्योग  एवं सेवा का दर्जा मिल जाएगा | सबसे बड़ी बात ये है कि आर्थिक विकास मे कृषि का योगदान जो कि लगातार घट रहा है, पुन: बढ़ना शुरू हो जाएगा एवं रोजगार के  नित नवीन अवसरों का सृजन होगा|

ध्यान देने वाली बात यह है कि यथा शीघ्र कृषकों की आशंकाओ को निर्मूल साबित किया जाय| विशेष कर ‘ठेके पर खेती’ के प्रावधान  और ‘न्यूनतम समर्थन मूल्य’ पर जो भ्रम या अफवाह फैलाई जा रही है, उस पर तत्काल प्रभाव से स्पष्टीकरण, सरकार व देशहित में होगा | यहाँ पर वर्तमान सरकार के धैर्य एवं कुशल नेतृत्व की महत्वपूर्ण भूमिका होगी |

जहाँ तक ‘न्यूनतम समर्थन मूल्य’ की बात है,  विशेषज्ञों  के अनुसार इसका लाभ मात्र 6 प्रतिशत कृषक बंधु ही उठा पाते है,  हमें यह कदापि नहीं भूलना चाहिए कि  क्या ‘न्यूनतम समर्थन मूल्य’ किसी विडम्बना से कम है, यह विचारणीय यक्ष प्रश्न  है |  शीत गृह  की भारी कमी के कारण 10  प्रतिशत से भी कम कृषि उत्पादों का प्रसंस्करण (प्रोसेसिंग) कर पाते हैं एवं लगभग 90 हजार करोड़ मूल्य का कृषि उत्पाद प्रति वर्ष सड़ – गल जाता है |

उपरोक्त विधेयकों के कारण मंडियो के अनुचित शोषण  से किसानों को निजात दिलाई जा सकती है | भारत  सरकार ने जो 1 लाख करोड़ की  कृषि आधारभूत ढाँचा निधि  की घोषणा की है, उसका दक्षता से उपयोग हो सकेगा|

ध्यान रहे कि वर्ष 2018 के आकड़ों के अनुसार भारत का कृषि उत्पाद  लगभग 400 बिलियन अमरिकी डालर था, जबकि उसी अवधि के दौरान चीन के कुल कृषि उत्पाद का मूल्य लगभग 965 बिलियन अमरिकी डालर रहा | कृषि  एवं खाद्य के निर्यात में   विश्व बाजार मे हमारी हिस्सेदारी  मात्र 2.7 प्रतिशत है, जो की आज कुछ साल पहले तक 1.0 प्रतिशत से भी कम थी| 

वित्त वर्ष 2018-19 मे कृषि का योगदान कुल निर्यात का 12.8% एवं कुल आयात का 8.1 % था| वर्तमान मे हमारे देश की कृषि उत्पादकता विश्व मानक से कम है, परंतु जब हमारी कृषि उत्पादकता मे वृद्धि होगी तो हम कृषि उत्पादन मे चीन को पीछे छोड़ कर विश्व पटल पर प्रथम स्थान पर विराजमान हो जाएगे, यह हमारा दृढ़ विश्वास है|

हमें यह ज्ञात होना चाहिए कि  वर्ष 1991 में  तत्कालीन भारत सरकार ने जो  साहसिक निर्णय लिया था उसका सुखद परिणाम यह है कि देश की आर्थिक विकास की गति तीव्र हुई और विगत  30 वर्षों  में भारतीय अर्थव्यवस्था 10 गुना बड़ी हो गई,  ठीक उसी तरह इन कृषि विधेयकों के प्रादुर्भाव से एक नए भारत का उदय होगा एवं कालांतर से भारत और इंडिया के बीच में जो अंतर है, वो धीरे धीरे  समाप्त हो जाएगा  एवं हिंदुस्तान की परिकल्पना पूर्ण  हो जाएगी, ऐसा मेरा दृढ़ विश्वास है |

 

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