पशुधन: रोजगार सृजन का सुनहरा अवसर

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पशुधन: रोजगार सृजन का सुनहरा अवसर

डॉ. रवीन्द्र कुमार एवं मोहित प्रजापति

प्रस्तावना

भारत दुग्ध उत्पादन के क्षेत्र में ग्लोबल लीडर बनकर उभरा हैl देश में वर्ष 2021-22 में रिकॉर्ड दुग्ध उत्पादन 22 करोड़ टन हुआ है एवं विश्व के कुल दुग्ध उत्पादन में 24% योगदान के साथ पहले स्थान पर पहुच चुका हैl विगत 10 वर्षो में दुग्ध उत्पादन के क्षेत्र में 51 % की बढ़ोत्तरी हुई है, जिसका योगदान भारतीय अर्थव्यवस्था में 5 % का हैl आज सीधे तौर पर 8 करोड़ किसान पशुपालन से जुड़कर लाभकारी योजना का लाभ ले रहे हैl

मनुष्य जीवन में कृषि के साथ पशुपालन का सम्बन्ध मानव सभ्यता के विकास के साथ ही शुरू हुआ हैl कृषि एवं पशुपालन एक सस्ता एवं पौष्टिक भोजन उपलब्ध कराने के अलावा ग्रामीण क्षेत्रो में विशेष रूप से छोटे एवं सीमांत किसानो तथा भूमिहीन मजदूरों को लाभकारी रोजगार उपलब्ध करवाने का साधन हैl ग्रामीण क्षेत्रो में 80 % से अधिक परिवार अपने घरो में पशुधन रखते है, डेरी एवं पशुपालन से छोटे एवं सीमांत किसानो की कुल आय का लगभग 35% तक प्राप्त होता हैl पशुपालन का व्यवसाय अन्य क्षेत्रो की तुलना में कम से कम निवेश के साथ ग्रामीण क्षेत्रो में आय का साधन हैl (चित्र नं. 1)

 

भारत में दूध: एक नज़र

भारत दूध उत्पादन के क्षेत्र में 24 % योगदान के साथ विश्व में प्रथम स्थान पर है, जिसमे देश के प्रमुख दुग्ध उत्पादक राज्य जैसे राजस्थान (15.05%), उत्तरप्रदेश (14.93%), मध्यप्रदेश (8.06%), गुजरात (7.56%) और आँध्रप्रदेश (6.97%) अग्रणी भूमिका निभा रहे  है, परन्तु प्रति पशु उत्पादकता अन्य देशो से काफी कम है| देश में प्रति व्यक्ति दूध की उपलब्धता कुछ राज्यों में जैसे पंजाब (1271 ग्राम), राजस्थान (1150 ग्राम), हरियाणा (1081 ग्राम), आदि में राष्ट्रीय दुग्ध उपलब्धता औसत (445 ग्राम) से काफी अधिक है, परन्तु अधिकांश राज्यों में जैसे असम (77 ग्राम), अरुणाचल प्रदेश (82 ग्राम ), पश्चिम बंगाल (179 ग्राम), झारखण्ड (187 ग्राम) एवं बिहार  (270 ग्राम) और दिल्ली एवं उत्तर-पूर्वी राज्यों में तो यह 100 ग्राम से भी कम है, जो ICMR द्वारा सिफारिश प्रति व्यक्ति दुग्ध आवश्यकता (370 ग्राम) से काफी कम है, जिसके प्रमुख कारणों में उन्नत नस्ल के पशुओ की कमी, अच्छी गुणवत्ता के हरा व सूखा चारा का अभाव, दुग्ध उत्पादन के आधार पर संतुलित आहार न मिलना, बेहतर पशु स्वास्थ्य सेवाओ की कमी आदि शामिल हैl इस कारण से क्षेत्र की वर्तमान समस्याओ एवं आवश्यकताओ को देखते हुए भारत सरकार द्वारा रोजगार सृजन, पोषण सुरक्षा एवं देसी नस्लों के संरक्षण एवं नस्ल सुधार तथा दुग्ध उत्पादकता बढाने के उद्देश्य से संसोधित एवं पुनर्गठित कल्याणकारी पशुधन विकास योजना की वर्ष 2021 में शुरुआत की गई हैl

पशुधन विकास योजनाये

राष्ट्रीय गोकुल मिशन (2014): आर.जी.एम. वर्ष 2014 से देसी बोवाइन नस्लों के विकास एवं संरक्षण के लिए लागू किया गया है, जो वर्ष 2021 में अम्ब्रेला योजना, राष्ट्रीय पशुधन विकास कार्यक्रम के तहत वर्ष 2026 तक निम्नलिखित उद्देश्यों के साथ जारी रखा गया है |

  1. उन्नत तकनीकियो का उपयोग करके गाय व भैंसों की उत्पादकता बढ़ाना |
  2. आनुवांशिक गुणवत्ता वाले सांडो का प्रजनन के लिए उपयोग एवं प्रचार |
  3. कृत्रिम गर्भाधान तथा सेक्स सारटेड सीमेन के उपयोग को बढ़ावा देना |
  4. देसी गौपशुओ और भैंसों के पालन और संरक्षण को बढ़ावा देना |
  5. हरे चारे एवं संतुलित आहार की उपलब्धता बढ़ाना |

राष्ट्रीय पशुधन मिशन (2021-22): राष्ट्रीय पशुधन मिशन मुख्य रूप से बैकयार्ड पोल्ट्री और छोटे जुगाली करने वाले पशु (बकरी और भेड़) पालन के साथ-साथ चारा संसाधन विकास और बीमा जैसे कुछ अन्य घटकों को बढ़ावा देने के लिए भारत सरकार के पशुपालन एवं डेरी विभाग द्वारा राष्ट्रीय पशुधन मिशन (NLM), को क्षेत्र की वर्तमान आवश्यकताओ को देखते हुए योजना को संसोधित एवं पुनर्व्यवस्थित कर वित्तीय वर्ष 2021-22 से सम्पूर्ण देश में चलाया जा रहा है, जिसका मुख्य उद्देश्य रोजगार का सृजन करना, उद्यमिता का विकास, प्रति पशु उत्पादकता में वृद्धि एवं मांस, बकरी के दूध, अंडे और ऊन के उत्पादन में वृद्धि करना है, इसके अतिरिक्त उत्पादन से घरेलु मांगो को पूरा करने के बाद निर्यात आय को बढ़ाना, असंगठित क्षेत्र में उपलब्ध उपज के लिए आगे एवं पीछे की कड़ी बनाने और संगठित क्षेत्र से जोड़ने के लिए उद्यमी को विकसित करना l यह मिशन पशुधन क्षेत्र में विकास को प्रोत्साहित करने एवं, इस क्षेत्र में शामिल 10 करोड़ पशुपालको को अधिक लाभदायक बनाने के लिए संचालित किया जा रहा है।

मिशन के मुख्य उद्देश्य

  1. छोटे जुगाली करने वाले पशु (भेड़ व बकरी), कुक्कुट, सुअर पालन एवं चारा क्षेत्र में उद्यमिता विकास के माध्यम से रोजगार का सृजन करना |
  2. नस्ल सुधार के माध्यम से प्रति पशु उत्पादकता बढ़ाना |
  3. मांस, अंडा, बकरी का दूध, ऊन और चारे के उत्पादन में वृद्धि |
  4. चारा बीज आपूर्ति श्रृंखला को मजबूत करना तथा चारे एवं आहार की उपलब्धता बढ़ाना |
  5. चारा प्रसंस्करण इकाइयो की स्थापना को प्रोत्साहित करना |
  6. पशुधन बीमा सहित जोखिम प्रबंधन के उपायों को बढ़ाना |
  7. आहार एवं चारे की प्राथमिकता वाले क्षेत्रों में अनुप्रयुक्त अनुसन्धान को बढ़ावा देना |
  8. किसानो को गुणवत्तापूर्ण विस्तार सेवा प्रदान करना |
  9. कौशल आधारित प्रशिक्षण और प्रौद्योगिकियो के प्रसार को बढ़ावा देना |

 

राष्ट्रीय पशुधन मिशन के उप-मिशन: इस मिशन को तीन मुख्य उप-मिशन में विभाजित किया गया हैl

उप-मिशन: (क.) पशुधन एवं कुक्कुट नस्ल विकास: इस उप-मिशन का उद्देश्य कुक्कुट, भेड़, बकरी और सुअर पालन को प्रोत्साहित करना एवं नस्ल सुधार के लिए उद्यमित्ता विकास हेतु और राज्य सरकार को नस्ल सुधार की अवसंरचना ढाचे के लिए भी तीव्र ध्यान देने का प्रस्ताव है | योजनावार पूंजीगत लागत पर अनुदान राशि सारणी-1 में अंकित है |

सारणी:1 योजनावार पूंजीगत लागत पर अनुदान राशि का विवरण:

क्र सं योजना पूंजीगत लागत अनुदान (50 %)
1. मुर्गीपालन 50 लाख 25 लाख
2. भेड़ एवं बकरी पालन 100 लाख 50 लाख
3. सुअर पालन 60 लाख 30 लाख
4. आहार व चारा विकास 100 लाख 50 लाख

 

उप-मिशन: (ख.) आहार और चारा विकास: इस मिशन का उद्देश्य चारा उत्पादन के लिए आवश्यक प्रमाणित चारा बीज की उपलब्धता में सुधार करने के लिए चारा बीज श्रृंखला को मजबूत करना और उद्यमियों को प्रोत्साहन के माध्यम से चारा ब्लाक/हे बेलिंग/साइलेज बनाने वाली इकाइयों की स्थापना के लिए प्रोत्साहित करना है|

उप-मिशन: (ग.) नवाचार एवं विस्तार: इस मिशन का उद्देश्य भेड़, बकरी, सुअर, चारा और चारा क्षेत्र  विस्तार गतिविधियों, पशुधन बीमा और नवाचार से सम्बंधित अनुसंधान और विकास करने वाले संस्थानों, विश्वविद्यालयों, संगठनो को प्रोत्साहित करना है |  (चित्र नं. 2)

 

कौन इस योजना के लिए पात्र होंगे?

  1. कोई भी व्यक्ति (Individual)
  2. किसान उत्पादक संगठन (FPO)
  3. स्वयं सहायता समूह (SHG)
  4. किसान सहकारी समिति (FCO)
  5. संयुक्त देयता समूह (JLG)
  6. धारा 8 अंतर्गत कंपनियां |

सब्सिडी पात्रता मानदंड क्या है?

उद्यमी/पात्र संस्थाओ को उद्यमिता कार्यक्रम के तहत लाभ प्राप्त करने के लिए पात्र माना जाएगा यदि वे निम्नलिखित मापदंड को पूरा करते है:

  1. उद्यमियों/पात्र संस्थाओ ने या तो प्रशिक्षण प्राप्त किया हो या प्रशिक्षित विशेषज्ञ हो या परियोजना के प्रबंधन और संचालन में प्रासंगिक क्षेत्र में पर्याप्त अनुभव हो या परियोजना के प्रबंधन और संचालन से सम्बंधित क्षेत्र में पर्याप्त अनुभव के साथ तकनीकि विशेषज्ञ हों|
  2. उद्यमी/पात्र संस्थाओ को बैंक या वितीय संस्थानों द्वारा परियोजना के लिए ऋण स्वीकृत कर दिया गया हो या बैंक द्वारा इसकी वैधता के लिए परियोजना के मुल्यांकन के साथ अनुसूचित बैंक से बैंक गारंटी प्रस्तुत की गयी हो जहां इसका खाता हो |
  3. उद्यमियों/पात्र संस्थाओ के पास अपनी जमीन या पट्टे की जमीन होनी चाहिए जहां परियोजना की स्थापना की जाएगी|
  4. उद्यमियों/पात्र संस्थाओ के पास केवाईसी के लिए सभी प्रासंगिक दस्तावेज होने चाहिए|

प्रोजेक्ट रिपोर्ट कैसे तैयार करे ?

आप अपने नजदीकी CA टीम से संपर्क करके अपनी प्रोजेक्ट रिपोर्ट बनवा सकते है

ऑनलाइन आवेदन कैसे करें ?

  1. राष्ट्रीय पशुधन मिशन योजना में ऑनलाइन आवेदन करने के लिए आपको सर्वप्रथम इस योजना की ऑफिसियल वेबसाइट पर जाना होगा ।
  2. इस योजना का होम पेज खुलने के बाद आपको Apply Now के विकल्प पर क्लिक करना है |
  3. इसके बाद आपके सामने दो ऑप्शन दिखाई देंगे (1) उद्यमी के रूप में लॉगिन करें (2) सरकार /अन्य एजेंसियों के रूप में लॉगिन करें |
  4. आपको आपके अनुसार विकल्प का चयन करना है |
  5. अब आपको रजिस्टर के विकल्प पर क्लिक करना है|
  6. इसके बाद आपके सामने एक आवेदन फॉर्म खुलेगा इस फॉर्म में पूछी गई सभी जानकारी आपको ध्यान से भरनी है इसके बाद आपको एक बार फिर रजिस्टर के विकल्प पर क्लिक करना है |
  7. फिर आपको Login के ऑप्शन पर क्लिक करना है और Login कर लेना |
  8. इसके बाद आपके सामने आवेदन का ऑप्शन दिखाई देगा यह आपको क्लिक करना हैl
  9. एक बार फिर आपके सामने एक आवेदन फॉर्म खुलेगा इसमें पूछी गई जानकारी अच्छे से दर्ज करे और फिर पूछे/मांगे गए आवश्यक दस्तावेज को Upload कर देना है।
  10. Upload करने के बाद आपको Submit कर देना है।
  11. इस प्रकार से आप इस योजना में आसानी से ऑनलाइन आवेदन कर सकते है।

प्रोजेक्ट के चयन की प्रक्रिया

इसका संस्थागत संरचना के अंतर्गत सबसे पहले अधिकार प्राप्त समिति का गठन हुआ हैl इसमें केंद्र सरकार के पशुपालन विभाग के उच्च अधिकारी रहेंगे | सभी स्कीमों के लिए दिशानिर्देश और नीति को बनाने की जिम्मेदारी इस संस्था की रहेगी | नीति में कोई भी बदलाव के लिए यह कमेटी जिम्मेदार रहेगी| इसके नीचे दूसरी कमेटी आती है जिसे परियोजना अनुमोदन समिति (Project Approval Committee-PAC) कहा जाता है, इसके बिना अप्रूव किए कोई भी सब्सिडी ग्रांट नहीं की जा सकती| इसके बाद राज्य स्तरीय कार्यकारिणी समिति का गठन होता हैl यह समिति आवेदकों से स्वीकृत एप्लीकेशन लेकर परियोजना अनुमोदन समिति (PAC) को देती है और वह सब्सिडी अप्रूव करती है| इसके नीचे एक और समिति काम करती है जिसे State Implementing Agency (SIA) या राज्य कार्यान्वयन समिति कहते हैं असल में यह संस्था ही डायरेक्ट अभ्यर्थियों और आवेदकों के संपर्क में आती है इसी के जरिए आपके एप्लीकेशन या आवेदन सब्सिडी के लिए केंद्र सरकार तक पहुंचाए जाते हैं|

राज्य क्रियान्वयन एजेंसी (SIA)

राज्य क्रियान्वयन एजेंसी (State Implementing Agency) एजेंसी का मुख्य काम यह होता है कि यह आवेदकों से उनके व्यवसाय के प्रस्ताव और आवेदन पत्र लेती हैl उसके बाद यह संस्था इन आवेदनों को भली-भांति जांचती है और उनकी समीक्षा करती है, यदि जांच के दौरान इस समिति को प्रोजेक्ट या आवेदन करने वाले में कोई कमी नजर आती है तो यह उसे रिजेक्ट कर देती है और यदि राज्य क्रियान्वयन एजेंसी (SIA) को प्रोजेक्ट समझ में आ जाता है और आवेदक के ऊपर इसे भरोसा हो जाता है तो यह बैंक से लोन के लिए उस प्रोजेक्ट को स्वीकृत कर देती हैl बैंक इस समिति की सिफारिश को तरजीह देते हैं और अमूमन लोन को प्रोजेक्ट के लिए स्वीकृति दे देते हैंl एक बार लोन के लिए स्वीकृति मिल जाने के बाद राज्य क्रियान्वयन एजेंसी (SIA) इस प्रोजेक्ट को राज्य स्तरीय कार्यकारी समिति (State Level Executive Committee-SLEC) के पास भेज देती है| जब राज्य स्तरीय कार्यकारी समिति (SLEC) को प्रोजेक्ट ठीक लगता है तो वो परियोजना अनुमोदन समिति (PAC) से सब्सिडी के लिए सिफारिश करती है और सब्सिडी आवेदक के अकाउंट में आ जाती है|

योजना स्वीकृति उपरांत अनुदान मिलने का तरीका

इसमें सबसे पहले व्यक्ति को एक एप्लीकेशन राज्य क्रियान्वयन एजेंसी (SIA) के समस्त प्रस्तुत करनी होती है, जो NLM पोर्टल के माध्यम से भेजी जाती हैl यह एजेंसी एप्लीकेशन की भली भांति जांच करती है और उसे अनुसूचित बैंक से लोन दिलाने के लिए सिफारिश करती हैl जब बैंक सिफारिश को स्वीकार करके लोन देने के लिए तैयार हो जाता है तो उसके बाद आवेदन को राज्य स्तरीय कार्यकारी समिति (SLEC) के पास भेजा जाता है जो उसे केंद्र सरकार तक भेजती है, केंद्र सरकार में पशुपालन विभाग (Animal Husbandry Department ) को यह आवेदन दिया जाता है, जो सब्सिडी को परियोजना अनुमोदन समिति (PAC) के माध्यम से आवेदक के खाते में जमा करा देते हैंl यह सारा फंड ट्रांसफर सिडबी बैंक के माध्यम से होता हैl भारत सरकार का पशुपालन विभाग (Department of Animal Husbandry, GOI) के जरिए सब्सिडी को सिडबी बैंक में बनाए गए आवेदक के खातों में जमा करती है वहां से सीधा उस सब्सिडी को आवेदक के खातों में भेजता हैl सब्सिडी लेने के लिए बैंक को लोन की किस्त आवेदक को देनी होती है जैसे ही लोन की किस्त आवेदक को मिल जाती है, उसके बाद सब्सिडी आवेदक के खाते में आ जाती है |

पोल्ट्री के लिए किस प्रकार से सब्सिडी मिलती है?

इस स्कीम में बैकयार्ड पोल्ट्री के उत्थान के लिए और नस्ल सुधार के लिए लोन दिया जाता है, जिसमें सरकार का उद्देश्य यह रहता है कि बैकयार्ड पोल्ट्री जो कम लागत से की जा सकती है उसे बढ़ावा दिया जाता है इसके लिए स्वयं सहायता समूह भी अप्लाई कर सकते हैं इसमें सरकार देसी मुर्गियों के पैरंट फॉर्म एच डी ब्रूडर कम मदर यूनिट हैचिंग एग्स और सिक्योरिंग यूनिट को लगाने के लिए प्रोत्साहित करती है इसमें केंद्र सरकार कुल 50% कैपिटल सब्सिडी देती है जिसका मतलब यह है कि फॉर्म बनाने के लिए और उसमें हेचरी या उससे संबंधित अन्य उपकरण खरीदने के लिए पैसे मिलते हैं इसमें 1000 तक पैरंट लेयर मुर्गियां रखने का प्रावधान है| बाकी की पूंजी आवेदक को बैंक के लोन से या फिर अपने पास से लगानी होती है इसमें किसी भी तरीके की कमर्शियल पोल्ट्री जैसे ब्रायलर या लेयर नहीं लगा सकते | केवल कम लागत में की जाने वाली देसी मुर्गियां इसमें पाली जाती हैं इसमें पूरे प्रोजेक्ट की लागत लगभग 50 लाख होती है जिसमें अधिकतम सब्सिडी 25 लाख तक केंद्र सरकार से मिल जाती है यह सब्सिडी उसी तरह से खाते में आती है जैसा कि पहले बताया जा चुका हैl (सारणी-1)

भेड़ और बकरी पालन पर सब्सिडी

भेड़ और बकरी पालन केलिए सब्सिडी मिलने का तरीका वही है जो पहले बताया जा चुका है इसमें सरकार के मुख्य उद्देश्य यह है की उद्यमिता को भेड़ और बकरी पालन में बढ़ावा दिया जाए | इसके साथ-साथ टिकाऊ व्यापार मॉडल विकसित किए जाएं, जिससे पढ़े-लिखे बेरोजगार युवकों के लिए रोजगार को बढ़ावा दिया जा सकेl इसमें कोई भी व्यक्ति अप्लाई कर सकता हैl बकरी और भेड़ फार्म के लिए इकाई का आकार, अनुदान की अधिकतम राशि सारणी-2 में अंकित हैl

सारणी:2  बकरी और भेड़ फार्म के लिए इकाई का आकार, अनुदान की राशि

क्र.सं बकरी और भेड़ फार्म के लिए इकाई का आकार अनुदान की राशि शेड के लिए जगह चारा के लिए जगह
1 100 मादा और 5 नर 10 लाख 1800 sqft 1.0 Acre
2 200 मादा और 10 नर 20 लाख 3600 sqft 2.0 Acre
3 300 मादा और 15 नर 30 लाख 5400 sqft 3.0 Acre
4 400 मादा और 20 नर 40 लाख 7200 sqft 4.0 Acre
5 500 मादा और 25 नर 50 लाख 9000 sqft 5.0 Acre

सुअर पालन उद्यमी को प्रोत्साहन

आनुवंशिक उन्नयन के माध्यम से देश की सुअर की आबादी की प्रति पशु उत्पदकता में सुधार करने के लिए क्षेत्र में उद्यमिता और निवेश को बढ़ावा देना और फॉरवर्ड एवं बैकवार्ड संपर्को का निर्माण करना, सुअर के मांस में आयात निर्भरता को कम करना, सुअर के मांस एवं मांस के उत्पादों का निर्यात बढ़ाना | इस योजना के अंतर्गत उच्च आनुवंशिक गुणवता वाले प्रजनन योग्य न्यूनतम 100 मादा सुअर और 10 नर सुअर वाले ब्रीडर फार्म की स्थापना के लिए 60 लाख पूंजी लागत का 50% यानि 30 लाख का अनुदान दिया जाता है |

आहार और चारा विकास योजना

आहार एवं चारे में उद्यमी: इस योजना के अंतर्गत भूसा/हे/साइलेज/मिश्रित राशन, चारा ब्लाक और चारे के भण्डारण, ग्राम स्तर पर भूसा/साइलेज से संबंधित बुनियादी ढाचे के विकास के लिए बेलर, ब्लाक बनाने की मशीन, टी एम आर मशीन/उपकरण चारा हार्वेस्टर/रिपर, चेफ कटर जैसी मशीनरी खरीदने एवं चारा ब्लाक स्थापना के लिए पूंजीगत लागत 100 लाख रुपये का अनुदान 50 लाख रुपये तक दिया जाएगा | इस मिशन के मुख्य उद्देश्य निम्नवत हैl

  1. आहार और चारा के क्षेत्र में उद्यमिता का विकास |
  2. फ्रंटलाइन प्रोद्योगिकी प्रदर्शनों के माध्यम से चारा प्रोद्योगिकियों को बढ़ावा देना, विकसित करना और उसका प्रसार करना |
  3. स्थानीय स्तर पर सस्ती कीमत पर गुणवतापूर्ण चारा उपलब्ध कराना |
  4. इन उद्यमियों को आपूर्ति करने के लिए स्थानीय किसानों द्वारा चारा उत्पादन को प्रोत्साहित करना|

गुणवत्तापूर्ण चारा बीज उत्पादन: इस क्रियाकलाप के तहत चारा बीज श्रृंखला यानि ब्रीडर, फाउंडेशन, और प्रमाणित गुणवता वाले चारा बीज उत्पादन को प्रोत्साहित करना | इसमें अनुसन्धान के माध्यम से विकसित की गयी उन्नतशील प्रजातियाँ जो अधिक उपज एवं बेहतर प्रदर्शन कर रही है उनके बीजो का उत्पादन बढ़ाना है l आई सी ए आर, राष्ट्रीय बीज निगम (एन.एस.सी.) कृभको, नाफेड, एच आई एल, एन डी डी बी, आदि केंद्रीय बीज एजेंसियो को सीधे तौर पर 100% प्रोत्साहन राशि दी जाती है और राज्य कार्यान्वयन एजेंसी को राज्य बीज उत्पादक संस्थानों से प्राप्त आवेदन के लिए दिया जायेगा| हालाँकि डेयरी सहकारिता और दुग्ध संघो के लिए अनुदान एन डी डी बी के माध्यम से दी जाएगी | विभिन्न श्रेणी के बीजो के उत्पादन के लिए सहायता की जाने वाली लागत निम्नानुसार है:

  1. ब्रीडर सीड्स- 250 रु./कि.ग्रा.
  2. फाउंडेशन सीड्स- 150रु./कि.ग्रा.
  3. प्रमाणित बीज- 100रु./कि.ग्रा.

बैंक का चुनाव कैसे करे?

  1. राज्य सहकारी कृषि और ग्रामीण विकास बैंक
  2. नाबार्ड से पुर्नवित्त प्राप्त अन्य पात्र संस्थाएँ
  3. वाणिज्य बैंक
  4. क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक
  5. राज्य सहकारी बैंक

आवेदन करने की प्रक्रिया

राष्ट्रीय पशुधन मिशन योजना में यदि आप आवेदन करना चाहते हैं तो आपको इसके लिए सबसे पहले इसकी आधिकारिक वेबसाइट https://nlm.udyamimitra.in/ पर जाकर अपना आवेदन कर सकते हैं। इसके अलावा योजना के संबंध में ज्यादा जानकारी के लिए आप अपने क्षेत्र में निकटतम पशुपालन विभाग एवं डेयरी विभाग बोर्ड से संपर्क कर योजना के संबंध में ज्यादा जानकारी ले सकते हैं।

आवश्यक दस्तावेज

  1. विस्तृत परियोजना रिपोर्ट (डीपीआर) जिसमें परियोजना की लागत, वित्त के साधन, आवर्ती लागत, शुद्ध आय आदि।
  2. भूमि दस्तावेज़ (स्वामित्व/पट्टा विलेख/किराया समझौता आदि) l
  3. निगमन का प्रमाण पत्र (Certificate of Incorporation) यदि कंपनी हो तो l
  4. पते का प्रमाण: (निर्वाचन आयोग द्वारा जारी फोटो युक्त वोटर कार्ड, बिजली बिल, पानी बिल,
    टेलीफोन बिल, पासबुक, किराया करारनामा आदि)l
  5. अधिकृत बैंक फॉर्म के साथ केंसल चेक l
  6. पैन कार्ड l
  7. आधार कार्ड l
  8. जीएसटी पंजीकरण प्रमाण पत्र l
  9. फोटो, जाति प्रमाण पत्र l
  10. शैक्षणिक प्रमाण पत्र l
  11. प्रशिक्षण/अनुभव प्रमाणपत्र l

 हरा चारा उत्पादन में ध्यान देने योग्य बातें

  1. चारे का बीज हमेसा उन्नत किस्म का ही ख़रीदे|
  2. चारे का बीज अनाज की अपेक्षा अधित घना बोना चाहिएl
  3. उच्च पौष्टिकता के लिए दलहनी एवं गैरदलहनी दोनों प्रकार के चारे की मिक्ष्रित खेती करे |
  4. अधिक दूध उत्पादन के लिए दलहनी चारा अवश्य उगायें|
  5. एक से अधिक कटिंग वाले पौधों को सतह के कुछ इंच ऊपर से काटे|
  6. ज्वार के छोटे पौधों में प्रुसिक एसिड (हाईड्रोजन सायनाइड) नमक जहरीला पदार्थ अधिक मात्रा में पाया जाता है, जो जानवरों के लिए अत्यंत घातक होता है | अतः ज्वार की कटाई फूल लगने पर ही करे|
  7. सूडान के छोटे पौधे एवं पीली पत्तियों को मवेशी को न खिलायें |
  8. मवेशी को सुबबूल की नये पत्तियों को खिलायें |
  9. बरसीम और लुसर्न घास को क्यारी बनाकर बोयें| प्रत्येक क्यारी को कटिंग करके उसकी सिचाई कर दे और खाद डाल दे |
  10. यदि चारे पर कीटनाशक दवाओ का छिडकाव किया गया है, तो उसे 3-4 दिन तक मवेशी को न खिलायें |
  11. आवश्कता से अधिक चारे को साइलेज बनाकर संरक्षित करे |
  12. गाँव की सामूहिक भूमि पर बहुवर्षीय पेड़ (सेसबेनिया, सुबबूल) लगायें |
  13. घर के पिछवाड़े गंदे पानी के निकास स्थान पर बहुवर्षीय घास (नेपियर) लगायें l

 

निष्कर्ष

भारत दुग्ध उत्पादन के क्षेत्र में ग्लोबल लीडर बनकर उभरा है, जिसका विश्व के कुल दुग्ध उत्पादन में 24% का योगदान है, परन्तु प्रति पशु उत्पादकता अन्य देशो की अपेक्षा बहुत कम एवं प्रति व्यक्ति औसत दुग्ध उपलब्धता 445 ग्राम है| देश के मुख्य दुग्ध उत्पादक राज्य राजस्थान, उत्तरप्रदेश, मध्यप्रदेश, गुजरात तथा आँध्रप्रदेश है | आई सी एम आर द्वारा सिफारिश के अनुसार प्रति व्यक्ति दुग्ध की आवश्यकता 370 ग्राम होनी चाहिए, जबकि भारत के कुछ राज्यों को छोड़कर अधिकांश राज्यों में प्रति व्यक्ति दुग्ध उपलब्धता औसत से बहुत कम है, जिसके मुख्य कारण उन्नत नस्ल, आहार एवं चारा, पशु स्वास्थ सेवाओ की कमी है| इस कारण से क्षेत्र की वर्तमान समस्याओ एवं आवश्यकताओ को देखते हुए भारत सरकार द्वारा रोजगार सृजन, पोषण सुरक्षा, देसी नस्लों के संरक्षण-नस्ल सुधार तथा दुग्ध उत्पादकता बढाने के उद्देश्य से संसोधित एवं पुनर्व्यवस्थित कल्याणकारी पशुधन विकास योजनाएं वर्ष 2021 से शुरु की गई है, आज सीधे तौर पर 8 करोड़ किसान पशुपालन से जुड़कर लाभकारी योजना का लाभ ले रहे हैl।

संतुलित पशु आहार-पशुओ के लिए है वरदान l

बढ़े दुग्ध उत्पादन और पशु बने बलवान ll

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