प्राकृतिक संसाधन और पर्यावरण को प्रभावित किए बिना धान-गेहूं प्रणाली की उत्पादकता को बढ़ाने के लिए, कई संसाधन एवं प्रौद्योगिकियों को विकसित किया गया है। कृषि यांत्रिकरण के विकास के क्रम में बुआई से सम्बंधित मशीनों में हैप्पी सीडर एक बहुत ही उपयोगी यन्त्र है । पहले धान एवं गेंहू की कटाई मजदूरों द्वारा हसुएँ की मदद से किया जाता था । मजदूरों के आभाव में अब यह काम कंबाइन हार्वेस्टर द्वारा किया जाने लगा है । हँसुए से कटे हुए फसलों में ठूंठ की लम्बाई 4-5 इंच तक होती है, जबकि कंबाइन हार्वेस्टर द्वारा काटे गए ठूंठ की लम्बाई 10 इंच से ज्यादा होती है । खेत में बड़े ठूंठ एवं फसल अवशेष की अधिकता के कारण उसमे जुताई एवं बुआई करना कठिन हो जाता है । इन अवशेषों को खेत से हटाना काफी खर्चीला होता है, इस कारण से अधिकतर किसान इन अवशेषों को खेत में ही जला देते हैं । कुछ किसान भाई यह सोचते हैं कि धान की पराली को आग लगा कर खेत तैयार करने का यह सबसे आसान तरीका है, क्योंकि धान के अवशेष गेहूं की बुआई करते समय परेशानी पैदा करती है और गेहूं की बुआई ठीक ढंग से नहीं हो पाती है।
फसल अवशेष जलाने से अवशेषों में मौजूद पोषक तत्वों, खासकर नाइट्रोजन एवं कार्बन का पर्याप्त नुकसान होता है साथ ही साथ मिटटी के कार्बनिक पदार्थ का भी नुकसान होता है । एक अनुमान के मुताबिक यदि 10 क्विंटल धान के अवशेष को जलाया जाता है तो 5.5 कि०ग्रा० नाईट्रोजन, 2.3 कि०ग्रा० फॉस्फोरस, 25 कि०ग्रा० पोटाशियम व 1.2 कि०ग्रा० सल्फर आदि तत्वों का नुकसान होता है।आग से निकलने वाले धुंए से मानव एवं मवेशी दोनों के ही स्वास्थ्य पर गंभीर प्रभाव पड़ता है । अगर इन फसल अवशेषों को पुनः मिटटी में मिला दिया जाये तो मिटटी में मौजूद पोषक तत्वों एवं कार्बनिक पदार्थों की भरपाई हो सकती है । धान के अवशेषों को खेत में मिलाने में बहुत ही समय एवं उर्जा की खपत होती है । खेत में फसल अवशेष होने के कारण ज़ीरो-टिल सीड-कम-फ़र्टिलाइज़र ड्रिल या सीड ड्रिल द्वारा गेहूं की सीधी बुआई ठीक से नहीं हो पाती है । सीड ड्रिल का ड्राइव व्हील फसल अवशेष होने के कारण ठीक से नहीं घूम पाता, एवं फालों के पास बार बार फसल अवशेष जमा होने लगता है । इस परिस्थिति में सीधी बुआई करने के लिए हैप्पी सीडर का प्रयोग किया जाता है । इस मशीन में फालों के आगे फ्लैल (चाकू नुमा) काफी तेजी से घूर्णन करते है जो की फालों के सामने आने वाले ठूंठ एवं फसल अवशेषों को काटते जाते है । इस मशीन का निर्माण एवं विकास पंजाब कृषि विश्व विद्ययालय, लुधियाना द्वारा किया गया है ।
हैप्पी सीडर
फसल अवशेषों को खेतों से बिना निकाले गेहूं की सीधी बिजाई करने के लिए कृषि वैज्ञानिकों ने हैप्पी सीडर मशीन के रुप में एक समाधान निकाला है। हैप्पी सीडर, फसल अवशेष संभालने वाला रोटर व जीरो टिल ड्रिल का मिश्रण है। यह उन्हें मिट्टी से छेड़ छाड़ किए बिना पिछली फसल की कटाई के बाद सीधे बीज डालने में मदद करता है। इस मशीन के प्रयोग से फसल की पैदावार और किसानों के मुनाफे में सुधार के अलावा गेहूं में फलेरिस माइनर जैसे खर पतवार के जोखिम को कम किया जा सकता है। इन मशीनों के फाले जीरो टिल ड्रिल के जैसे ही अंग्रेजी के उल्टे “टी” के समान होता है जिसके द्वारा भूमि में केवल एक पतली सी नाली बन जाती है। इन पतली नालियों में 5-7 से०मी० की गहराई पर खाद तथा बीज स्वयं ही मशीन द्वारा पड़ता रहता है । इस मशीन द्वारा धान, गेंहूँ, मसूर, मटर, मूंग इत्यादि फसलों की बुआई की जा सकती है । इस मशीन में फ्लेल किस्म के ब्लेड लगे होते हैं, जो कि ड्रिल के बिजाई करने वाले फाले के सामने आने वाले फसल अवशेष को काट कर पीछे को धकेलते हैं इससे मशीन के फालों में अवशेष नही फंसती और बीज को सही ढंग से बिखेरा जा सकता है। यह मशीन 50 अश्वशक्ति (hp) के ट्रेक्टर द्वारा आसानी से खींचा जा सकता है । 9 फाले वाले मशीन द्वारा एक घंटे की करीब एक एकड़ की बुआई हो जाती है यानि की मशीन की बुआई क्षमता लगभग 0.3-0.4 हेक्टेयर प्रति घंटा होती है । मशीन को चलाने में ट्रेक्टर द्वारा एक घंटे में लगभग 5-6 लीटर डीजल प्रति हेक्टेयर की खपत होती है ।
हैप्पी सीडर के प्रमुख भाग और उनका विवरण:
फ़्रेम
स्लिट / फ़रो ओपनर/फाला
फ्लैल
बीज और उर्वरक के बक्से
पावर ट्रांसमिशन की इकाई
बीज मीटरींगप्रणाली
उर्वरक मीटरींगप्रणाली
गहराई-नियंत्रण के लिए पहिये
हिच बिंदु
फ़्रेम: नौ टाइन/फाले वाले हैप्पी सीडर का फ्रेम लगभग 198 × 60 से० मी० के आकार का होता है। इसे आसानी से किसी भी 50 एचपी ट्रैक्टर की मदद से खींचा जा सकता है। इस मशीन की ऊंचाई 130 से 148 सेमी तक होती है तथा कुछ मॉडलों में इसका वजन लगभग 450 से 510 किलोग्राम तक होता है। मशीन की चौड़ाई 200-230 से० मी० तथा इसकी काम करने वाली चौड़ाई 180-202 से० मी० तक होती है । यु (U) आकर के क्लैम्प की मदद से फलों को फ्रेम से जोड़ा जाता है
स्लिट/फ़रो ओपनर /फाला: हैप्पी सीडर में मॉडल के आधार पर उल्टे टी-टाइप स्लिट/फ़र्रो ओपनर्स/फाले होते हैं। इन्हें विभिन्न फसलों में आवश्यकतानुसार प्रयोग किया जा सकता है। ये टी-टाइप स्लिट/फ़रो ओपनर 3-5 सेंटीमीटर चौड़े होते हैं वहीं दो फालों में 20-22 से० मी० की दूरी होती है। इन फालों के बीच की दूरी बीज के अनुसार बदली जा सकती है। फालों का निकासी कोण सामान्य रूप से 5 डिग्री पर रखा जाता है। प्रत्येक फालों के पीछे एक ट्यूब (स्टील रिबन या पॉलीथीन ट्यूब 25 मि० मी० के न्यूनतम व्यास के साथ) दी जाती है। गहराई-नियंत्रण के लिए पहियों को ऊपर उठाने या कम करके बोने की गहराई को समायोजित किया जा सकता है। गहराई नियंत्रण पहियों के अलावा, तीन बिंदु हिच के हाइड्रोलिक्स से गहराई नियंत्रण किया जा सकता है।
फ्लैल: फालों के आगे आने वाले फसल अवशेष को फ्लैल ब्लेड की मदद से काटा/साफ किया जाता है ताकि बीज व खाद को सही जगह पर डाला जा सके । यह कार्य हैप्पी सीडर की कार्यकुशलता में खास योगदान देता है। फ्लैल शाफ्ट पी. टी. ओ की मदद से घूमती है। प्रत्येक फालों के पीछे दो फ्लैल घूमते रहते हैं ।
बीज और उर्वरक बॉक्स: उर्वरक के बक्से हल्के स्टील शीट (2 मी० मी० मोटी) से बने होते हैं। उर्वरक बॉक्स सामने और बीज बॉक्स पीछे की तरफ, एक साथ फ्रेम से जुड़े होते हैं। बॉक्स के आयाम अलग-अलग हो सकते हैं लेकिन ये आम तौर पर मशीन की प्रभावी चौड़ाई पर निर्भर करते हैं और फालों की संख्या में वृद्धि के साथ बढ़ते हैं ।
पावर ट्रांसमिशन यूनिट:: हैप्पी सीडर में फ्लैल शाफ़्ट को घुमाने के लिए एवं बीज तथा उर्वरक मीटरिंग उपकरणों को संचालित करने के लिए शक्ति के श्रोत की जरुरत होती है । ट्रेक्टर के पॉवर टेक ऑफ़ (पी०टी०ओ०) से गियर बॉक्स होते हुए फ्लैल शाफ़्ट को शक्ति दी जाती है । फ्लैल शाफ़्ट की घूर्णन गति प्रति मिनट 1000-1200 तक होती है । इस गति से घुमने से फ्लैल आसानी से फसल अवशेष एवं ठूंठ को काटकर बीज की बुआई में मदद करती है ।
बीज और उर्वरक मीटरिंग उपकरणों को संचालित करने के लिए शक्ति ड्राइव व्हील द्वारा आती है । पावर ट्रांसमिशन यूनिट के मुख्य भाग इस प्रकार हैं:क) ड्राइव व्हील; ख) शाफ्ट; ग) गियर एवं स्प्रोकेट घ) रोलर चेन
बीज और उर्वरक मीटरिंग उपकरणों को संचालित करने के लिए शक्ति का श्रोत एक अस्थायी प्रकार से संचालित ड्राइव व्हील होता है जिसका व्यास 50-70 से० मी० और चौड़ाई 10-12 से० मी० होती है जिसे चेन और स्प्रोक्केट के माध्यम से संचालित की जाती है। हालाँकि, ड्राइव व्हील का आकार विभिन्न मॉडलों में भिन्न हो सकता है। पहिए पर लग्स इसके ऊपर वेल्ड किये जाते हैं जिससे बेहतर कर्षण प्रदान हो सके। यह ड्राइव व्हील पीछे या सामने (मॉडल के अनुसार) फ्रेम से जुड़ा होता है। ग्राउंड व्हील से पावर एक शाफ्ट द्वारा प्रेषित की जाती है।चेन स्प्रोकेट के माध्यम से इस शाफ्ट द्वारा बीज और उर्वरक मीटरिंग शाफ्ट भी शक्ति प्रेषित की जाती है। इसके सुचारू रूप से चलने के लिए तथा शाफ़्ट की धुर्णन गति को बदलने के लिए छोटे आकर की गियर होती है ।
बीज मीटरिंग प्रणाली : बीज मीटरिंग प्रणाली के प्रमुख भाग इस प्रकार हैं :
क) बीज बॉक्स ख)इन्क्लाइन प्लेट रोटर ग) एल्यूमीनियम/प्लास्टिक कप घ) प्लास्टिक पाइप ङ) प्रवाह नियंत्रण पट्टी च) बीज बूट ज ) बीज दर निर्धारक पट्टी
इस मशीन से छोटे बीज जैसे गेंहू, धान एवं बड़े बीज जैसे चना, मटर, मक्का इत्यादि की बुआई की जा सकती है । बीज को बीज बॉक्स में डाला जाता है , बीज प्रवाह नियंत्रक धातु की पट्टी के निचे से होते हुए इन्क्लाइन प्लेट तक पहुँचती है । प्लेट की परिधि पर खाँचें बने होते है । ये प्लेट थोड़े तिरछे (इन्क्लाइन) होते है ताकि खांचों में बीज फसने के बाद निचे न गिरे । ये प्लेट बीज के आकर के अनुसार अलग अलग होते हैं । बीज प्राप्त रोटरी प्लेटों द्वारा एल्युमीनियम के कप में गिरा देतें है, जहाँ से यह प्लास्टिक पाइप के सहारे यह बीज बूट होते हुए फालों द्वारा बनाये गए मिटटी की पतली नाली में गिरा देते हैं ।
बीज दर निर्धारक पट्टी लोहे की एक पट्टी है जिस पर समान रूप से बराबर दुरी पर छेद प्रदान किए जाते हैं। छेदों को बदलकर बीज दर को समायोजित किया जाता है।
बीज दर का निर्धारण (कैलिब्रेशन)
सबसे पहले ड्राइव व्हील के व्यास D, मी० को मापें और इसकी परिधि (P=14 x D)मी० कीगणना करें।
ड्रिलिंग मशीन की प्रभावी चौड़ाई W, मी० को मापें या फालों की कुल संख्या को उनके बीच की दुरी से गुणा करें।
ड्राइव व्हील के एक बार घूर्णन करने से मशीन द्वारा क्षेत्र कवरेज A= P x W वर्ग मी०
बीज ड्रिल को उठाएं ताकि ड्राइव व्हील मुक्त हो जाए। पहिए के रिम पर चॉक से निशान लगाएं।
बीज गिरने वाले प्लास्टिक के ट्यूबों को बीज बूट से बाहर निकल लें एवं प्रत्येक ट्यूबों के निचे एक प्लास्टिक की थैली बांध दे ताकि बीज उसमे जमा हो सके
बीज बॉक्स में बीज भरें, बीज दर समायोजन लीवर सेट करें और पहिया को गिनती करके 20 (n) बार घुमाएं।
ड्राइव व्हील घुमाने से प्लास्टिक की थैली में बीज जमा हो जायेंगे। सभी थैलियों से बीज निकल कर एकत्र करें और इसका वजन M, कि०ग्रा० करें।
प्रति हेक्टेयर बीज दर की गणना के लिए निचे दिए सूत्र का प्रयोग करें :
बीज दर = (कि०ग्रा० प्रति हे०)
इस प्रकार प्रति हेक्टेयर बीज दर की गणना की जा सकती है। बीज दर में कोई भी परिवर्तन, यदि आवश्यक हो, तो लीवर को समायोजित करके और वांछित बीज दर प्राप्त होने तक मशीन को पुनर्गणना करके पूरा किया जा सकता है।
अगर यह जानना हो की प्रत्येक पंक्तियों में बीज की मात्रा बराबर गिर रही है की नहीं उसके लिए प्रत्येक प्लास्टिक की थैली से एकत्रित बीज का वजन करें एवं उसे रिकॉर्ड करें। मशीन के सही होने पर प्रत्येक थैली से प्राप्त बीज की मात्रा में बहुत ही कम अंतर आएगा (3-4 ग्राम)। अगर अंतर इससे ज्यादा आ रहा हो तो मशीन के बीज मीटरिंग प्रणाली को जाँच करने की आवश्यकता है ।
उदाहरण : अगर ड्राइव व्हील का व्यास D= 60 से०मी० है, मशीन में 9 फालें हैं तथा फालों के बीच की दुरी 22 से०मी० है तथा ड्राइव व्हील को 20 बार घुमाने पर प्लास्टिक की सभी 9 थैलियों से 340 ग्राम गेहूं प्राप्त होता है तो हैप्पी सीडर का बीज दर का निर्धारण करें ।
उत्तर : मशीन की चौड़ाई W = फालों की संख्या x फालों के बीच की दुरी
= 9 x 22 से०मी० =198 से०मी०
= 1.98 मी०
ड्राइव व्हील का व्यास D =60 से०मी०=0.6 मी०
ड्राइव व्हील की परिधि P =3.14 x D=3.14 x 0.6
= 1.884 मी०
ड्राइव व्हील के एक बार घूर्णन करने A= P x W वर्ग मी०
से मशीन द्वारा क्षेत्र कवरेज = 1.884×1.98 वर्ग मी०
= 3.73 वर्ग मी०
ड्राइव व्हील को 20 (n) बार घुमाने पर कुल बीज का वजन M =340 ग्रा०
=0.34 कि०ग्रा०
इसलिए, गेहू की बीज दर = कि०ग्रा० प्रति हे०
=कि०ग्रा० प्रति हे०
= 45.58 कि०ग्रा० प्रति हे०
साधारणतया, गेंहू की बीज दर करीब 100 कि०ग्रा० प्रति हे० होती है ।शून्य जुताई -बीज-सह-उर्वरक ड्रिल का बीज दर 45 कि०ग्रा० प्रति हे० आ रहा है जो की बहुत कम है । अतः लीवर को समायोजित करके, वांछित बीज दर प्राप्त होने तक मशीन को पुनर्गणना करते रहना चाहिए ।
उर्वरक मीटरिंग उपकरण
उर्वरक मीटरिंग उपकरण के प्रमुख भाग इस प्रकार हैं:
क) उर्वरक बॉक्स के नीचे हीरे के आकार के छेद
ख) स्केल
ग) उर्वरक सेटिंग लीवर
घ) एल्यूमीनियम कप
ङ) एजीटेटर
च ) फ्लूटेड रोल्लर
छ) उर्वरक मीटरिंग शाफ्ट
उर्वरक मीटरिंग उपकरण एक शाफ्ट पर व्यवस्थित होता है। उर्वरक बॉक्स के तल में, हीरे के आकार के छेद बनाए जाते हैं। इन छेदों के आकार को समायोजित करके उर्वरक की मात्रा को समायोजित किया जाता है। उर्वरक के बड़े टुकड़ों के इन छेदों में फसने कि स्थिती में स्टार नूमा एजीटेटर दिए जाते हैं जो कि उर्वरक कि सही मात्रा सुनिश्चित करते हैं। उर्वरक की आवश्यक मात्रा को समायोजित करने के लिए उर्वरक सेटिंग हैंडल दिया जाता है। उर्वरक छेद में से होकर, एक फ़नल के रास्ते, स्लिट / फ़रो ओपनर में पहुंचता है।
गहराई नियंत्रण पहिया
हैप्पी सीडर के दोनों ओर एक-एक पहिया लगे होते हैं, जो कि हल्के स्टील चादर के बने होते हैं। यह बुवाई की गहराई निर्धारित करने के लिए होते हैं । गहराई नियंत्रण स्क्रू से इन पहियों की गहराई को बढ़ाया या कम किया जा सकता है। गेहूं में बोने की गहराई 3-5 सेमी होती है। हालाँकि आवश्यकता के अनुसार इसे समायोजित किया जा सकता है।
मशीन परिचालन में सावधानियां:
इस मशीन का प्रयोग वैसे खेतों के लिए है जिसमें बड़े ठूंठ एवं फसल अवशेष की अधिकता के कारण उसमे जुताई एवं बुआई करना कठिन हो जाता है । जीरो सीड ड्रिल की तुलना में घुमने वाले पार्ट्स ज्यादा होने के कारण तेल की खपत ज्यादा होती है ।
खेतों में अवशेष ज्यादा होने (7 टन प्रति हेक्टेयर से ज्यादा) पर मशीन के परिचालन में दिक्कत होती है ।
मशीन में फाल फसल के अनुसार उचित दूरी पर लगा लेना चाहिए । इसके लिए फालों में लोहे के क्लैम्प लगे होते हैं जिनको खिसका कर फालों की दूरी को कम या अधिक किया जा सकता है ।
उर्वरक को बक्से में भरते समय यह ध्यान रखना चाहिए कि उर्वरक में ढेले न हों ।
उर्वरक कम या अधिक करने वाली पत्ती को निशान पर रखने के बाद नट को कस देना चाहिए ।
उर्वरक को बक्से में भरते समय उर्वरक कम या अधिक करने वाली पत्ती के नीचे वाली पत्ती बंद होना चाहिए तथा चलते समय ही इस पत्ती को खोलना चाहिए ।
ट्रेक्टर के द्वारा मशीन चलने की गति सीमा 2-3 कि०मी० प्रति घंटा होनी चाहिए ।
उर्वरक छिडकने के पश्चात् यन्त्र को अच्छी प्रकार से साफ़ करके रखना चाहिए तथा बक्से में उर्वरक नहीं होना चाहिए ।
प्लास्टिक के पाइप लगते समय यह ध्यान रखना चाहिए की पाइप में अधिक मोड़ न आये अन्यथा बीज तथा खाद रुक सकता है ।
अच्छे अंकुरण के लिए बीज एवं खाद को उचित नमी में ठीक अंतर व गहराई पर डालना अतिआवश्यक है। फालों की गहराई फसल के अनुसार कम या अधिक की जा सकती है ।
यह मशीन उन खेतों में अच्छी तरह से काम नहीं करती है जहां नमी का स्तर बहुत अधिक है और ऐसी स्थितियों में बीज और उर्वरक ट्यूबों में अवरोध होने की सम्भावना होती है ।
खेत में नमी कम होने पर यदि मशीन को चलाया जाता है तो मिटटी के ढेले बहुतायत में निकलते हैं । यह मिटटी के ढेले फालों के बीज बूट में फँस जाते है जिससे की बीज वाली प्लास्टिक पाइप बंद हो जाती है और बीज नहीं गिर पाता है । मशीन चलाते समय मशीन के पीछे एक व्यक्ति को ध्यान रखना चाहिए और पाइप के बंद होने पर मशीन को रोककर मिटटी के ढेले को तुरंत ही निकल देना चाहिए ।
चिकनी मिटटी (क्ले) में मशीन का प्रयोग करने से पहले उसकी नमी का जरुर ध्यान रखें । नमी कम होने पर मशीन के फाले ठीक से गहराई में नहीं जा पाएंगे तथा उससे बड़े आकर के मिटटी के ढेले निकलेंगे जिससे बुआई में दिक्कत आएगी । खेत में नमी ज्यादा होने पे ट्रेक्टर के पहिये स्लिप करेंगे तथा हैप्पी सीडर का ड्राइव व्हील स्लिप करने से बीज सही मात्र में नहीं गिर पायेगा ।
पूरे फसल की बुआई हो जाने के बाद मशीन के दोनों बक्सों से बीज एवं उर्वरक को पूरी तरह से निकल लेना चाहिए । अक्सर देखा गया है की उर्वरक बॉक्स में उर्वरक रह जाने के कारण उसमें जंग लग जाती है साथ ही साथ उर्वरक नमी को पाते ही बक्से से रासायनिक प्रतिक्रिया कर उसे नष्ट करने लगता है ।
पूरे फसल की बुआई हो जाने के बाद मशीन को अच्छे से धोकर, धूप में सुखाकर किसी ऐसे स्थल पे रखना चाहिए जहाँ धूप एवं बरसात से बचाव हो सके । कपडे में इंजिन से निकला हुआ पुराना मोबिल या आयल को भिगोकर मशीन के उन सभी भागों को पोंछ देना चाहिए जिनका मिटटी के साथ संपर्क होता है जैसे की ड्राइव पहिया, फाले इत्यादि ।
यदि मशीन को खुले में रखना मज़बूरी हो तो पूरे मशीन पर बहार से आयल की हलकी परत कपडे से पोंछ कर चढ़ा दें जिससे बारिश होने पर जंग लगने की सम्भावना कम हो जाए ।
एसोसिएट प्रोफेसर और हेड (फार्म मशीनरी एंड पावर इंजीनियरिंग)
कृषि अभियांत्रिकी एवं प्रद्योगिकी महाविद्यालय, डॉ. राजेंद्र प्रसाद केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय पूसा,समस्तीपुर