मशीनों की सही इस्तेमाल एवं देखभाल करें और उसकी उम्र बढ़ाएँ

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मशीनों की सही इस्तेमाल एवं देखभाल करें और उसकी उम्र बढ़ाएँ

प्रेम कु० सुन्दरम, जया सिन्हा एवं संजय कुमार पटेल

 

अक्सर देखा जाता है की मशीनों का उपयोग करने के बाद इसे जैसे तैसे छोड़ दिया जाता है. खेती  में प्रयुक्त होने वाले मशीनों को ज्यादा देखभाल की जरुरत होती है क्योंकि इनका संपर्क हमेशा मिटटी एवं पानी से होता रहता है. चूँकि इनमे अधिकतर पुर्जे घूमने वाले होते है अतः इनका थोड़े थोड़े दिनों में साफ सफाई करते रहना चाहिए. बहुत सारे किसान भाई मशीनों को किराए पर चलते है. अतः थोडा अच्छे से इस्तेमाल एवं धयान देने पर इन मशीनों की उम्र बढ़ सकती है . निचे कुछ मशिनो के इस्तेमाल एवं रख रखाव से सम्बंधित जानकारी दी जा रही है जिसका थोडा सा भी अनुसरण करने से किसान भाइयों क फायदा हो सकता है.

 

1. कल्टीवेटर:

रख रखाव : आमतौर से सभी नट तथा बोल्टों की जांच करते रहना चाहिए जिससे वे हमेशा टाइट फिट रहें सबसे बढ़िया तरीका यह है कि प्रतिदिन कार्य प्रारम्भ करने से पहले इनकी जांच कर लें। फालों को घिस जाने पर पलट देना चाहिए या फिर नये फाल लगाने चाहिए। प्रतिदिनि कार्य समाप्त करने के पश्चात तथा यन्त्र के उचित भण्डारण हेतु यन्त्र की पालिश की गयी सतहों पर ग्रीस लगाना चाहिए, जिससे कि यंत्र में जंग न लगने पाये। आपरेटर को मशीन के विवरण के बारे में स्पष्ट जानकारी अवश्य होनी चाहिए जिससे वे टूटे हुये भागों या घिसे हुए भागों को पुनः कार्य प्रारम्भ करने से पहले ठीक कर लें।

सावधानियाँ: बुवाई करते समय फालों के बीच की दूरी निश्चित होना चाहिए तथा फालों की गहराई भी बराबर होनी चाहिए। खेत की तैयारी करते समय लाइनों के बीच की दूरी इतनी अधिक नही होनी चाहिए जिससे खेत बिना जुता हुआ रहे। खाद (उर्बरक) डालते समय यह ध्यान रखना चाहिए कि उर्बरक सूखा तथा भुरभुरा है या नहीं, यदि भुरभुरा न हो तो उसे सुखा देना चाहिए। उर्बरक डालने के लिये यन्त्र मे लगने वाले भाग मे प्लास्टिक का प्रयोग करना चाहिए। यन्त्र से निराई-गुड़ाई करते समय यह ध्यान रखना चाहिए कि लाइनों में बोये हुए पौधे नष्ट न हों।

 

2. हैरो

रख रखाव : हैरो मे दिये गये ग्रीस निपिल द्वारा अच्छी तरह ग्रीस भर देना चाहिये जिससे हैरो बिना किसी आवाज तथा सुगमता स ेचल सके और कम ऊर्जा का उपयोग हो। र्प्याप्त स्नेहक के लिये ग्रीस की इतनी मात्रा डालनी चाहिये कि बियरिंग के दोनो तरफ से ग्रीस निकलने लगे। हैरो के सभी नट बोल्ट कसे होने चाहिये तथा इस यन्त्र के सभी टूटे हुये भागों की मरम्मत कर लेना चाहिये । जब यन्त्र को प्रयोग न करना हो तो जंग लगने वाले भागो को पॉलिष करके ही सुरक्षित रखना चाहिये।

सावधानियाँ: हैरो के तवो के घिस जाने पर उन्हे बदल देना चाहिये तथा यन्त्र के सभी भागो को ठीक प्रकार से समायोजित करके कस देना चाहिये। हैरो चलाते समय यह ध्यान रखना चाहिये कि कोई भी कार्यकर्ता ट्रेक्टर तथा हैरो के बीच नही होना चाहिये अन्यथा दुर्घटना होने की सम्भावना बनी रहती है।

3. रोटावेटर

रख रखाव : यदि रोटावेटर ब्लेड घिस गये हैं तो तो उसे बदल देना चाहिए। रोटावेटर को हमेशा टै्रक्टर के कम स्पीड पर चलाना चाहिए जिससे मिट्टी ठीक से भुरभुरी हो जाये। रोटावेटर के बगल में लगे हुए गहराई नियंत्रक भाग को ठीक तरीके से समायोजित कर के ही चलाना चाहिए। घिसे हुए रोटावेटर ब्लेड का हमेशा पूरा सेट बदलना चाहिए। ऐसा नहीं करने पर रेटावेटर ब्लेड पर लगने वाले विभिन्न बलों का सन्तुलन बिगड सकता है, और जिसके कारण टै्रक्टर को अधिक क्षमता से कार्य करना पड़ता है। जिस कारण तेल की खपत बढ़ जायेगी। गीयर बॉक्स के तेल के स्तर की जांच समय-समय पर किया जाना चाहिए तथा रोटावेटर के शक्ति संचरण में प्रयुक्त चेन/गीयर की भी समय-समय पर उचित स्नेहक का उपयोग करना चाहिए जिससे रोटावेटर पुर्जों की आयु बढ़ सके और मशीन की आवाज भी कम हो जायेगी। रोटावेटर को टै्रक्टर के पी0टी0ओ0 से जोड़ने वाली षाफ्ट मे एक सिअर बोल्ट लगा रहता है, जो अधिक लोड आने पर टूट जाता है। यह सिअर बोल्ट टै्रक्टर की पी0टी0ओ0 षाफ्ट की सुरक्षा के लिये लगा रहता है। यदि यह सिअर बोल्ट अधिक लोड पर नही टूटती है तो ट्रैक्टर की पी0टी0ओ0 षाफ्ट के टूटने की सम्भावना बनी रहती है। अतः कृषक भाइयो को चाहिये कि खेत मे रोटावेटर ले जाते समय एक अथवा एक से अधिक सिअर बोल्ट अतिरिक्त रखना चाहिये जिससे खेत मे सिअर बोल्ट के टूटने पर उन्हें आसानी से बदला जा सके।

सावधानियाँ: खेत में रोटावेटर को चलाने से पहले उसके ब्लेड्स को ठीक से टाइट कर लेना चाहिए। रोटावेटर के शील्ड को लगभग नीचे की तरफ झुका लेना चाहिए।जिससे कंकड़-पत्थर तेजी के साथ बाहर न आने पायें अन्यथा इन पत्थरों द्वारा चोट लगने की सम्भावना रहती है। अच्छी तरह से मिट्टी भुरभुरी बनाने के लिए खेत में नमीं बहुत अधिक नहीं होनी चाहिए जहां तक सम्भव हो, नमीं खेत में काम करने लायक होनी चाहिए अन्यथा रोटावेटर मिट्टी तो काटेगा लेकिन भुरभुरा नहीं कर पायेगा। रोटावेटर के गियर बॉक्स और साइड के पावर सिस्टम में स्नेहक एक दिये गये चिन्ह तक भरा रहना चाहिए।

4. जीरो टिल फर्टीसीड-ड्रिल

रख रखाव : बक्से में उर्बरक भरते समय उर्बरक कम या अधिक करने वाली पत्ती के नीचे वाली पत्ती बंद होना चाहिए तथा चलते समय केवल इस पत्ती को ही खोलना चाहिए। छिड़कने से पहले ही उर्बरक को बक्से में भरना चाहिए। अधिक समय तक बक्से में खाद नहीं रहना चाहिए तथा यह ध्यान रखना चाहिए कि उसमें रखी हुई उर्बरक में नमीं न आये और उर्बरक का छिड़काव ठीक ढंग से हो सके। उर्बरक को बक्से में भरते समय यह ध्यान रखना चाहिए कि उर्बरक में ढेले न हों। चलाते समय उर्बरक बॉक्स का ढक्कन बंद ही रखना चाहिए तथा साधारण गति से ही चलाना चाहिए जो कि लगभग 3-3.5 किलोमीटर प्रतिघंटा होता है। हैण्डिल को आम गति से ही घुमाना चाहिए (30-40 चक्कर प्रति मिनट) क्योंकि हैण्डिल के चक्र कम या अधिक होने से उर्बरक एकसार छिड़काव पर असर पड़ता है। उर्बरक छिड़कने के पश्चात् यंत्र को अच्छी प्रकार से साफ करके रखना चाहिए तथा बक्से में उर्बरक नहीं होना चाहिए। उर्बरक के बक्से में घूमने वाले पट पर आने वाले उर्बरक की दर का नियंत्रण फीड पट अथवा पट्टी की सहायता से किया जाता है, इसलिए उचित दर प्राप्त करने के लिए यह आवष्यक है कि प्रत्येक मषीन में इसका कम या अधिक करने का प्रावधान हो। टै्रक्टर आगे चलने की गति मषीन की आगे चलने की गति भी उर्बरक छिड़काव की दर को प्रभावित करती है। यह टै्रक्टर की गति अधिक होगी तो एक सेटिंग पर मषीन द्वारा प्रति हेक्टेयर कम उर्बरक पड़ता है, इसके विपरीत यदि टै्रक्टर की गति कम होगी तो पट की पूर्व गति एवं बक्से से आने वाले उर्बरक की दर वही रहने पर भी खेत में अधिक उर्बरक छिड़का जा सकता है। इसलिए आवष्यकतानुसार उपरोक्त दरों एवं गतियों का चुनाव करके इच्छित दर से उर्बरक का छिड़काव किया जाये।

सावधानियाँ: बीज व खाद के बक्सों, खाद वाली शाफ्ट तथा खाद मापने वाली पत्ती को अच्छी तरह से साफ कर लेना चाहिए। बीज व खाद वाले शाफ्टों की फ्री-घुमाव देख लेना चाहिए। सभी चलने वाले भागों में ग्रीस/तेल डाल देना चाहिए।प्लास्टिक की नालियां लगाते समय यह ध्यान रखना चाहिए कि नाली में अधिक मोड़ न आने पाये अन्यथा बीज तथा खाद रूक जाता है। मशीन के फाल, फसल के अनुसार उचित दूरी पर लगा लेना चाहिए। इसके लिये फालों में लोहे के क्लैम्प लगे होते हैं जिनको खिसका कर फालों की दूरी को कम या अधिक किया जा सकता है। बक्सों में बीज व खाद डालकर समायोंजन कर लेना चाहिए यदि सही समायोंजन नहीं करते हैं तो खेत में यह पता लगाना कठिन हो जाता है कि मशीन द्वारा किस दर से बीज व खाद खेत मे गिर रहा है। अच्छे अंकुरण के लिये बीज एवं खाद को उचित नमी में ठीक अन्तर व गहराई पर डालना अतिआवश्यक है। फालों की गहराई फसल के अनुसार कम या अधिक की जा सकती है। खाद व बीज की मात्रा कम या अधिक करने वाले लीवर आसानी से चलना चाहिए। उचित खाद एवं बीज की मात्रा पर समायोंजन करने के बाद इसके नट कस लेना चाहिए ताकि बुवाई के समय बीज तथा खाद सारे खेत में एक तरह से पड़ सके।

5. पावर चलित नैपसैक स्प्रेयर

रख रखाव : कार्य समाप्त करने के तुरन्त बाद छिड़काव यंत्र में साफ पानी डालकर चलाना चाहिये ताकि उसके सभी भीतरी भाग साफ हो जायें । छिड़काव यंत्र को बाहर से भी साफ रखना चाहिए। छिड़काव यंत्र की टंकी में धूल इत्यादि नहीं जाने देना चाहिए। दवा का घोल हमेशा छानकर ही डालना चाहिए। छिड़काव यंत्र प्रयोग करने से पहले उसके सभी गतिशील भागों में तेल या ग्रीस लगाना ाचहिए। यंत्र यदि अधिक दिनों तक चलाया जा चुका होता है तो उसके स्पार्क प्लग, काबुर्रेटर और सभी पाइपलाइनों को साफ कर लेना चाहिए। इंजिन के सिलिण्डर (फिंस) को साफ रखना चाहिए। यदि यन्त्र का भण्डारण अधिक समय के लिये करना हो तो उसे कपड़े अथवा रैक्सीन के बने कवर से ढक कर रखना चाहिये।

सावधानियाँ: रसायनों का छिड़काव प्रातः या सांयकाल में करना चाहिए। जब हवा मन्द गति से चलती है, अन्यथा रसायन अपने स्थान पर न गिरकर दूसरी जगह पर पंहुच जाता हैं प्रातः काल पौधों पर ओस के कण होने पर रसायन पौधों पर भली प्रकार जम जाता है। अत्यंत आवश्यक परिस्थितियों में यदि छिड़काव बहती हवा में ही करना पडे़ तो काम करने वाला व्यक्ति हवा की उस दिशा मे चलना चाहिए जिससे दवा, हवा के साथ फसल पर ही गिरे न कि उस व्यक्ति के ऊपर और छिड़काव करने वाला नाक, मुँह, आदि अंग कपड़े से ढककर छिड़काव करें। उचित यह होगा कि रसायनो से सुरक्षा हेतु उपलब्ध उपकरणो का प्रयोग करना चाहिये जैसे दस्ताने, मॉस्क और चस्मा इत्यादि। जहरीले रसायनों का प्रयोग, उनके उपयोग सम्बन्धित सुझावों को ध्यान में रखकर उचित समय पर छिड़काव करना चाहिए जिससे किसी प्रकार की परेशानी न हो सके। छिड़काव समाप्ति के पश्चात अपने हाथ तथा चेहरे को पहले साफ पानी से तत्पश्चात् फिर साबुन से धोना चाहिए क्योंकि कुछ रसायनों की साबुन से प्रतिक्रिया होने से शरीर के जलने आदि की सम्भावना रहती है। विभिन्न आकार के रबर या फाइबर के वाशर सदैव अपने पास रखना चाहिए। जिस भाग से रसायन निकलता हुआ दिखे वहां का वाशर तुरंत बदल देना चाहिए। कभी भी मुँह से फूँककर इन यंत्रों की बन्द नालियों को नहीं खोलना चाहिए।

6. रीपर

रख रखाव : यदि रीपर से कटाई एक जैसी न हो रही हो तो यह देखना चाहिये कि लेजर प्लेट कहीं से टूटा तो नहीं है और यदि ऐसा हो तो बदल देना चाहिए। यंत्र को चलाते समय सभी नट बोल्ट अच्छी तरह से कसे होने चहिए तथा दोनें कनवेयर बेल्ट और स्टार व्हील आसानी के साथ बिना रूकावट के चलना चाहिए।

सावधानियाँ: यंत्र के सभी घूमने वाले भागों में अच्छी प्रकार से ग्रीस अथवा तेल डालते रहना चाहिए। छूरों के धार को समय-समय पर तेज करते रहना चाहिए। खेत में कार्य समाप्ति के पश्चात् कटरबार की सफाई करना अतिआवश्यक है जिससे जंग न लगने पाये। रीपर का प्रयोग उन्हीं फसलों की कटाई के लिए किया जाता है जिनके बीच में कोई दूसरी फसल न बोई गयी हो। यंत्र के काम करते समय इसके नजदीक किसी भी मनुष्य को नहीं होना चाहिए अन्यथा मनुष्य के कपडों के ढ़ीले होने के कारण वह मशीन के साथ फंस सकता है तथा दुर्घटना हो सकती है।

Authors

  • डा० प्रेम कुमार सुंदरम

    वैज्ञानिक भूमि एवं जल प्रबंधन प्रभाग भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद् का पूर्वी अनुसंधान परिसर पो०ऑ० बिहार वेटनरी कॉलेज, पटना- 800 014

  • डा० जया सिन्हा

    सहायक प्राध्यापक, कृषि अभियांत्रिकी एवं प्रद्योगिकी महाविद्यालय, डॉ. राजेंद्र प्रसाद केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय पूसा,समस्तीपुर

  • डा० संजय कुमार पटेल

    एसोसिएट प्रोफेसर और हेड (फार्म मशीनरी एंड पावर इंजीनियरिंग) कृषि अभियांत्रिकी एवं प्रद्योगिकी महाविद्यालय, डॉ. राजेंद्र प्रसाद केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय पूसा,समस्तीपुर

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